ये इंतज़ार कितना प्यारा है
हर एक ख्वाब अब तो तुम्हारा है ...
खड़े है दरपे अपने मंजील के
करीब आ गए है साहिल के
कितना हसी दिख रहा किनारा है
हर एक ख्वाब आब तुम्हारा है
तन्हा था जो सफर मेरा वर्षों से
था इन्तेज़ार जिसका मुझको कई अर्षों से
आनेवाला अब हमसफ़र हमारा है
हर एक ख्वाब आब तुम्हारा है
मिलेगी जब मेरी नज़रें उनकी नज़रों से
होगा सामना फिर थरथराती अधरों से
यही सोंच अब बन गया मेरा सहारा है
हर एक ख्वाब आब तुम्हारा है
ये इंतज़ार कितना प्यारा है....
Friday, October 30, 2009
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