Tuesday, July 22, 2008

मेरी दूल्हन

महफिल है हुई हसीन
शमाँ भी यहाँ का है रंगीन
कौन है मेरी दिल्वर ये कहना है नामुमकीन।
कुछ खाती हैं बल अल्हङ मस्त जवानी से
कुछ हैं मादकता मे लीन
कुछ चंचल हैं तितली के जैसी
कुछ अदा से हैं शालीन।

किसी के होंठ नशीलें हैं
किसी के सुर्ख हैं हाँ गाल
किसी की आँखें सागर हैं
किसी के जुल्फ हैं मायाजाल।

किसी की बोली कोयल सी
कोई चले मयुर की चाल
किसी के यौवन दिल के तार बजाए
किसी के हुनर हैं बेमिशाल।

सब कुछ है हाँ इस महफिल में
फिर् भी हूँ मैं बङी मुश्किल में
है कहाँ पर वो हुस्न परी
जो घर कर जाये मेरे दिल में।
ढूँढू मैं हर दम एक परी
गुण जिसमें हों उपर की सारी भरी
देखते हीं जिसको दिल बोले
हाँ यही तो है दुल्हन मेरी।

मन्दिर मस्जिद काहे बनाये

मन्दिर मस्जिद काहे बनाये-2
कर कुछ ऐसा राम मन बस जाए-4
मन्दिर..........
धन की जरुरत होगी उनको बनाने को-2
सोने का ढेर चाही उनको सजाने को-2
धन बीन मन का मन्दिर बन जाए
कर कुछ ऐसा राम मन बस जये-2
मन्दिर....
घी और बाती चाही ज्योत जगाने को-2
दिये की जरुरत होगी उसको जलाने को
ग्यान की ज्योत मन को,
आलोकित कर जाये
कर कुछ ऐसा राम मन बस जाये
मन्दिर........
काशी प्रयाग कावा काहे को जाये-2
गन्गा जल भरी घर क्यों लाए-2
तीरथ हैं सारे बाबु -2
तुझ में समाये
कर कुछ ऐसा राम मन बस जाये-2
मन्दिर...........

Monday, July 14, 2008

मैं हूँ एक मुसाफिर

मैं हूँ एक मुसाफिर मुझको प्यार चाहिए
थोड़े से दिल नहीं मानता
प्यार मुझे बेसुमार चाहिए

दिल सागर से भी बड़ा हो जिसका
वैसा दिलदार चाहिए
सर्वस्व समर्पित कर दु जिसपे
ऐसा यार चाहिए

मेरा सब कुछ उसका हो ,
उसका सब कुछ हो मेरा
ऐसा अधिकार चाहिए
तड़पा हूँ अब तक जिस ख़ुशी के लिए
वो ख़ुशी बारम्बार चाहिए

शक और असमंजस घर ना कर पाए जिसमे
इतनी मजबूत दीवार चाहिए
कोई तूफान हिला नहीं पाए हमारे रिश्ते को
ऐसा आधार चाहिए

प्यार लहू बन धमनियों में दौडे
ऐसा रक्त का संचार चाहिए
हम दोनों हो और प्यार हमारा
इतना छोटा सा एक संसार चाहिए

सोंच हमारा सच बन जाये
ऐसा एक चमत्कार चाहिए
थोड़े से दिल नहीं मानता
प्यार हमें बेसुमार चाहिए