आज संभाले भी मेरा मन
नहीं संभल रहा हैआज
फिर बचपन पाने को
मेरा दिल मचल रहा है
ना पाने कि लालच
ना खोने का ग़म था
न इर्ष्या न द्वेष
बस खुशियों का संग था
फिर से एक बार वैसा ही
बन जाने को मन चंचल हो रहा है
आज फिर बचपन पाने को
मेरा दिल मचल रहा है
था सबका मै लाडला
हर बात मेरी प्यारी थी
मेरी खुशियों के लिए सबने
अपनी खुशियाँ बारी थी
उसी लाड, उसी प्यार को
याद कर आज फिर दिल पिघल रहा है
आज फिर बचपन पाने को
मेरा दिल मचल रहा है
वो शरारत पे मेरी
सबका मुस्कराना
मेरी गलतियों को
हंसकर सबको दिखाना
फिर से वही शरारत करने को
दिल मेरा व्याकुल हो रहा है
आज फिर बचपन पाने को
मेरा दिल मचल रहा है
ना जात-पात का भेद-भाव
ना अमीरी-गरीबी का आभास था
हर कोई था मेरा दोस्त
हर दौलत मेरे पास था
फिर से वही दोस्त, वही दौलत पाने को
ये दिल जल रहा है
आज फिर बचपन पाने को
मेरा दिल मचल रहा है
ना ही कुछ कहने के लिए तैयारी
ना ही कुछ छुपाने कि जरुरत थी
खुली किताब थी जिंदगी
बसती दिल में भगवान कि मूरत थी
उसी बचपन के लिए हजार बार
जवानी लुटाने को, आज मन वेकल हो रहा है
आज फिर बचपन पाने को
मेरा दिल मचल रहा है
Wednesday, September 10, 2008
किसपे यकीं करू मैं
किसपे यकीं करू मैं
अब तो आँखों ने भी
सच का दामन छोड़ दिया है
हर मानव ने आज तो आँखों पर
झूठ का चादर ओड़ लिया है
यथार्थ से रिश्ते ख़त्म कर
नाता दिखावे से जोड़ लिया है
भौतिक सुख पाने के खातिर
आलौकिक सुख से मुख मोड़ लिया है
किसपे यकीं करू मै .......
अपने अस्तित्व को खोने की
ये कैसी अनोखी होड़ है
आँख वाले भाग रहे है
ऐसे मानो ये अंधों की दौड़ है
किसपे यकीं करू मै.........
इस पतन के दौर में
सच घुट-घुट कर दम तोड़ रहा है
झूठ, फरेब और भ्रष्टाचार
मानवता के मेरुदंड को तोड़ रहा है
किसपे यकीं करू मै .........
मुरलीधर, वन्शीवाले का हम
कब तक और इन्तेज़ार करें
सच की यही पुकार है कि
हे कृष्ण, पाप का अब जल्दी संहार करें
अब जल्दी संहार करें, अब जल्दी संहार करें
अब तो आँखों ने भी
सच का दामन छोड़ दिया है
हर मानव ने आज तो आँखों पर
झूठ का चादर ओड़ लिया है
यथार्थ से रिश्ते ख़त्म कर
नाता दिखावे से जोड़ लिया है
भौतिक सुख पाने के खातिर
आलौकिक सुख से मुख मोड़ लिया है
किसपे यकीं करू मै .......
अपने अस्तित्व को खोने की
ये कैसी अनोखी होड़ है
आँख वाले भाग रहे है
ऐसे मानो ये अंधों की दौड़ है
किसपे यकीं करू मै.........
इस पतन के दौर में
सच घुट-घुट कर दम तोड़ रहा है
झूठ, फरेब और भ्रष्टाचार
मानवता के मेरुदंड को तोड़ रहा है
किसपे यकीं करू मै .........
मुरलीधर, वन्शीवाले का हम
कब तक और इन्तेज़ार करें
सच की यही पुकार है कि
हे कृष्ण, पाप का अब जल्दी संहार करें
अब जल्दी संहार करें, अब जल्दी संहार करें
हैं बस दो दिन हीं अब बाकी
क्यूँ ऐसा छया है सन्नाट्टा
क्यूँ विराना है हर मन्जर
परेशाँ है क्यूँ हर चेहरा
हैराँ हैं क्यूँ हर दिलवर।
खमोशी और उलझन हीं
झलकती हर के माथे पर
जो सोते थे दिन में भी
वो क्यूँ जागें हैं रातों भर।
जहाँ पर चार दिन पहले [library]
कोई चेहरा न दिखता था
ऐसा जादू किया किसने
वहीं पर क्यूँ हर चेहरा नजर आए।
उलझते थे जो प्रितम के
घनेरी काली बालों में
उलझे हैं क्यूँ वो सारे
किताबों के सवालों में।
ये हैरानी ये खामोशी
ये विरानी, और उलझन
इन सबके पिछे छुपा है
बस एक ही कारण।
हैं बस दो दिन हीं अब बाकी
इम्तहाँ के शुभारम्भ होने में
मगर दिन कुछ और लग जाएगें
कई विषयों की पढाई प्रारम्भ होने में।
क्यूँ विराना है हर मन्जर
परेशाँ है क्यूँ हर चेहरा
हैराँ हैं क्यूँ हर दिलवर।
खमोशी और उलझन हीं
झलकती हर के माथे पर
जो सोते थे दिन में भी
वो क्यूँ जागें हैं रातों भर।
जहाँ पर चार दिन पहले [library]
कोई चेहरा न दिखता था
ऐसा जादू किया किसने
वहीं पर क्यूँ हर चेहरा नजर आए।
उलझते थे जो प्रितम के
घनेरी काली बालों में
उलझे हैं क्यूँ वो सारे
किताबों के सवालों में।
ये हैरानी ये खामोशी
ये विरानी, और उलझन
इन सबके पिछे छुपा है
बस एक ही कारण।
हैं बस दो दिन हीं अब बाकी
इम्तहाँ के शुभारम्भ होने में
मगर दिन कुछ और लग जाएगें
कई विषयों की पढाई प्रारम्भ होने में।
आज का मौसम
क्या खास हैआज मौसम मॆ
सॊनॆ कॊ जी करता है
क्या खास हैआज मौसम मॆ
कही खॊनॆ कॊ दिल कहता है
क्या खास हैआज मौसम मॆ
हँसनॆ और रॊनॆ कॊ जी करता है
क्या खास हैआज मौसम मॆ
किसी का हॊनॆ कॊ दिल कहता है
आज मॆरॆ बस मॆ नही
लग रहॆ मॆरॆ जज्बात है,
आज मॆरॆ दिल पॆ
हसीन हसरतॊ का राज है
यॆ जदू जहै इस मौसम का
या छाया मुझपॆ कॊइ नशा है
शब्दॊ मॆ ना बयाँ कर पाऊ
मिल रहा ऎसा मजा है
भीङ मॆ हु बैठा मै
पर तन्हाई मॆरॆ साथ है
या खुमारी छाई है मुझपॆ
या इसमॆ भी मौसम का कुछ हाथ है
इसलिए मै कह रहा हू कि
कुछ खास है आज मौसम मॆ
आज मदिरा हवा कॆ साथ है
कुछ खास है आज मौसम मॆ
हर जगह पॆ मधुशाला का अभास है
मधुशाला का अभास है,मधुशाला का अभास है
सॊनॆ कॊ जी करता है
क्या खास हैआज मौसम मॆ
कही खॊनॆ कॊ दिल कहता है
क्या खास हैआज मौसम मॆ
हँसनॆ और रॊनॆ कॊ जी करता है
क्या खास हैआज मौसम मॆ
किसी का हॊनॆ कॊ दिल कहता है
आज मॆरॆ बस मॆ नही
लग रहॆ मॆरॆ जज्बात है,
आज मॆरॆ दिल पॆ
हसीन हसरतॊ का राज है
यॆ जदू जहै इस मौसम का
या छाया मुझपॆ कॊइ नशा है
शब्दॊ मॆ ना बयाँ कर पाऊ
मिल रहा ऎसा मजा है
भीङ मॆ हु बैठा मै
पर तन्हाई मॆरॆ साथ है
या खुमारी छाई है मुझपॆ
या इसमॆ भी मौसम का कुछ हाथ है
इसलिए मै कह रहा हू कि
कुछ खास है आज मौसम मॆ
आज मदिरा हवा कॆ साथ है
कुछ खास है आज मौसम मॆ
हर जगह पॆ मधुशाला का अभास है
मधुशाला का अभास है,मधुशाला का अभास है
सपनों के मन्दिर में
मेरे सपनों के मन्दिर में
युग बाद आज तुम आयी हो
अपनी पूजा की थली में
माला नाम के किसके लाई हो।
सोंचा था गुम हो तुम उन दिशाऔं में
जहाँ मैं ढुँढ न तुमको पाऊँगा
अपनी सपनों और आशाओं में
पर तुमने आज मेरे सारे
सोये उन्माद जगा डाले
यथार्थ नहीं कल्पना मे हीं सही
अवांछित फल हैं दे डाले।
मिलों की लम्बी दुरी को
चन्द लम्हों के लिए मिटा डाला
इस अन्मनस्क आशिक को
राह नई दिखा डाला।
है झुम रहा ऐ मेरा तन
प्रणय गीत गा रहा मेरा मन
नए पुष्प खिल उठे, छई हरियाली
विराना सा था जो इस दिल का चमन।
आज मैं फिर से एक बार
भाव विह्वल होने हूँ लगा
आनदातिरेक की लहरों में
एक बार फिर बहने हूँ लगा।
शुक्रिया कहूँ गर मैं तुमको
अपमान तुम्हारा है उसमें
हैं शब्द नहीं मेरे शब्दों की झोली में
सम्मान तेरा बढे जिसमें।
युग बाद आज तुम आयी हो
अपनी पूजा की थली में
माला नाम के किसके लाई हो।
सोंचा था गुम हो तुम उन दिशाऔं में
जहाँ मैं ढुँढ न तुमको पाऊँगा
अपनी सपनों और आशाओं में
पर तुमने आज मेरे सारे
सोये उन्माद जगा डाले
यथार्थ नहीं कल्पना मे हीं सही
अवांछित फल हैं दे डाले।
मिलों की लम्बी दुरी को
चन्द लम्हों के लिए मिटा डाला
इस अन्मनस्क आशिक को
राह नई दिखा डाला।
है झुम रहा ऐ मेरा तन
प्रणय गीत गा रहा मेरा मन
नए पुष्प खिल उठे, छई हरियाली
विराना सा था जो इस दिल का चमन।
आज मैं फिर से एक बार
भाव विह्वल होने हूँ लगा
आनदातिरेक की लहरों में
एक बार फिर बहने हूँ लगा।
शुक्रिया कहूँ गर मैं तुमको
अपमान तुम्हारा है उसमें
हैं शब्द नहीं मेरे शब्दों की झोली में
सम्मान तेरा बढे जिसमें।
पास आने ना दिया, दूर भी जाने न दिया
पास आने ना दिया
दूर भी जाने ना दिया
जिंदगी मिल पाई नहीं
मौत ने ठुकरा दिया
जब भी दिल उनका किया
दिल से मेरे खेल लिया - २
थक गए खेल के जब
दिल को कही फेक दिया
ये भी सोचा ही नहीं
और ना ही मुड़के देखा
कि ये सीसा - सा ये दिल
गिर के कितने टुकडे हुआ
पास आने ना दिया, दूर भी जाने न दिया ......
दिल के तुकडो को जब
हम ने फिर से जोड़ा
दिल ने तब ये पूछा
यार बता, मुझे किसने तोडा ?
मैंने जब दिल के ही
दिलबरा का नाम लिया
दिल ने अपनी हाथों से
अपने दिल को थाम लिया
पास आने ना दिया, दूर भी जाने ना दिया ........
बोला खुशनशीबी मेरी
यार के कुछ काम आया
प्यार ना मिल पाया तो क्या
नफ़रत तो मेरे नाम आया
फिर से टूटने के लिए
यार से लुटाने के लिए
दिल ने एक बार फिर
यार के घर का रुख है किया
पास आने ना दिया, दूर भी जाने ना दिया ........
पास आने ना दिया
दूर भी जाने ना दिया
जिंदगी मिल पाई नहीं
मौत ने ठुकरा दिया
दूर भी जाने ना दिया
जिंदगी मिल पाई नहीं
मौत ने ठुकरा दिया
जब भी दिल उनका किया
दिल से मेरे खेल लिया - २
थक गए खेल के जब
दिल को कही फेक दिया
ये भी सोचा ही नहीं
और ना ही मुड़के देखा
कि ये सीसा - सा ये दिल
गिर के कितने टुकडे हुआ
पास आने ना दिया, दूर भी जाने न दिया ......
दिल के तुकडो को जब
हम ने फिर से जोड़ा
दिल ने तब ये पूछा
यार बता, मुझे किसने तोडा ?
मैंने जब दिल के ही
दिलबरा का नाम लिया
दिल ने अपनी हाथों से
अपने दिल को थाम लिया
पास आने ना दिया, दूर भी जाने ना दिया ........
बोला खुशनशीबी मेरी
यार के कुछ काम आया
प्यार ना मिल पाया तो क्या
नफ़रत तो मेरे नाम आया
फिर से टूटने के लिए
यार से लुटाने के लिए
दिल ने एक बार फिर
यार के घर का रुख है किया
पास आने ना दिया, दूर भी जाने ना दिया ........
पास आने ना दिया
दूर भी जाने ना दिया
जिंदगी मिल पाई नहीं
मौत ने ठुकरा दिया
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