Friday, October 30, 2009

गाँव हमारा

गाँव हमारा कितना प्यारा
है वो मेरी आंखों का तारा
मई भी हु उसका राजदुलारा
वो है इस धरती का ध्रुव तारा
गाँव हमारा ......

लोग वहाँ के कितने सच्चे
सारे के सारे के सारे है अच्छे
अभी भी जब मई घर जाता हूँ
गोडलागी भैया कहते आते है बच्चे
गाँव हमारा ......

पूरब में है आम की बगिया
पश्चिम में बहती है नदिया
उत्तर भर हमको है प्यारा
दक्षिण में है घर हमारा
गाँव हमारा ......

अगर कभी वो लड़ जाते है
होल में फ़िर मिल जाते है
साथ में मिल कर वो गाते है
होली चयितार दुबारा
गाँव हमारा ......

कभी बाबु दादा के दूर पर
कभी स्कूल के चबूतरा पर
कभी पश्चिम भर पीपल के निचे
अभी खुलता है तास का पिटारा
गाँव हमारा ......

अस्सी वर्ष के बुडे से भी
करता मजाक है नन्हा सा एक प्यारा
पर जीतनी इज्जत पहले मिलाती थी
अभी भी मिलता है वो सारा
गाँव हमारा .......

दूसरों के खेतों के चने का
बच्चे अभी भी होरहा खाते है
बच्चे क्या बुडे भी चुराकर
नदी किनारे गन्ना खाते है
गाँव हमारा .....

आम अमरूद की बात ही क्या
कच्चे पपीते पे भी हमला होता है
जो जितना खाने से रोके किसी को
वो उतना ही अपने सामान को खोता है
गाँव हमारा .....

पूरब में देवी माँ का मन्दिर है
पश्चिम में डाक बाबा का ठिकान
उत्तर भर भोले बाबा है
दक्षिण में है वीर हनुमान
गाँव हमारा .....

सर्दी और बरसात में सब
नदी में गोता लगाते है
गर्मी के मौसम में सारे
उत्तर भर केविन पर नहाते है
गाँव हमारा ....

किसी मुसीबत के आने पे
सारे लोग मिलकर लड़ते है
दुश्मन चाहे जैसा भी हो
नही किसी से वो डरते है
गाँव हमारा .....
पूर्वज की अरखी इज्ज़त को
सब अपनी धरोहर मानते है
इसीलिए सरे इअलाके वाले हमे
वीर पुरूष के नाम से जानते है
गाँव हमारा .....

एकता है बल हमारा
आपसी प्रेम देता है सहारा
विनती करता हु मई प्रभुसे
लूँ इसी गाँव में जन्म दुबारा

गाँव हमारा कितना प्यारा ...

1 comment:

Randhir Singh Suman said...

एकता है बल हमारा
आपसी प्रेम देता है सहारा
विनती करता हु मई प्रभुसे
लूँ इसी गाँव में जन्म दुबारा
गाँव हमारा कितना प्यारा ...nice